काशी में मसान की होली: धर्मगुरुओं ने उठाए सवाल, जानिए क्या है विवाद

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के अवसर पर 20 मार्च 2024 को दोपहर 1:00 बजे काशी के प्राचीन हरिश्चंद्र घाट पर मसान की होली खेली जाने वाली है। यह आयोजन काफी चर्चा में रहा है। महाश्मशान घाट पर होने वाली इस होली में घाट के लोगों के साथ-साथ आसपास के भी हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

लेकिन इससे ठीक पहले काशी के धर्माचार्यों ने इस आयोजन पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि शास्त्रों पुराणों में ऐसे किसी भी प्रकार के उत्सव का उल्लेख नहीं है।

धर्माचार्यों का तर्क

काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और BHU के प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि भगवान शिव संपूर्ण विश्व के आराध्य हैं। उनके प्रति हम सनातन प्रेमियों की गहरी आस्था है। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन लीलाओं में सुख दुख को अपने अंदर समाहित कर लिया था। भगवान शिव के बताए गए मार्गों पर चलना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हुए जीवन के सफर को पूरा करना ही एक सामान्य व्यक्ति के सफल जीवन के रूप में देखा जा सकता है। इस प्रकार के उत्सव का उल्लेख कहीं भी हमारे शास्त्रों और परंपराओं में नहीं है।

युवा पीढ़ी के लिए खतरा

द्विवेदी ने आगे कहा कि महाश्मशान घाट पर संवेदनहीनता की कोई जगह नहीं। भगवान शंकर ईश्वर रूप में है। उनके जीवन लीलाओं को कभी भी एक सामान्य व्यक्ति से तुलना नहीं की जा सकती। उनका त्याग, तप, तेज़ से संसार भली भांति परिचित है। लेकिन शमशान घाट पर ऐसे किसी भी आयोजन का उल्लेख हमारे प्राचीन परंपराओं में नहीं है। खासतौर पर गृहस्थ व युवा पीढ़ी के लोगों को शमशान घाट के ऐसे आयोजन में नहीं जाना चाहिए। भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

धर्मगुरुओं ने की अपील

धर्मगुरुओं ने काशीवासियों से अपील की है कि वे इस आयोजन में शामिल न हों। उन्होंने कहा कि यह आयोजन हमारी संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ है।

holi of masaan
holi of masaan

आयोजकों का पक्ष

इस मामले पर आयोजकों का कहना है कि मसान की होली एक प्राचीन परंपरा है। यह भगवान शिव के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य लोगों को जीवन और मृत्यु के बारे में जागरूक करना है।

विवाद जारी

मसान की होली को लेकर विवाद जारी है। धर्मगुरुओं और आयोजकों के बीच तीखी बहस चल रही है। यह देखना होगा कि इस विवाद का क्या परिणाम होता है।

काशी में मनाई जाने वाली मसान की होली एक अनूठा परंपरा है, मगर हाल ही में इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस विवाद का केंद्र बिंदु है – क्या शास्त्रों में ऐसा कोई उल्लेख मिलता है?

कुछ धर्माचार्यों का मानना है कि भगवान शिव के जीवन को सामान्य व्यक्ति से तुलना करना गलत है। शिवजी ने जीवन में सुख-दुख दोनों को समाहित कर लिया था, जबकि मसान की होली में रंग-रंगीली होली जैसा माहौल बनाया जाता है। यह गंभीर स्थल शोक मनाने वालों के लिए होता है, ऐसे में यहां उत्सव करना उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है।

वहीं, आयोजकों का दावा है कि मसान की होली एक प्राचीन परंपरा है। यह भगवान शिव के प्रति समर्पण का प्रतीक है और इसका उद्देश्य लोगों को जीवन-मृत्यु के चक्र के बारे में जागरूक करना है। चिता की भस्म से होली खेलना इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भौतिक शरीर नश्वर है।

यह विवाद इस बात को रेखांकित करता है कि परंपराओं को किस तरह से देखा जाए। क्या परंपराएं जड़ हैं या समय के साथ उनमें बदलाव स्वीकार्य है? मसान की होली भले ही अनोखी हो, लेकिन क्या यह हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों के अनुरूप है? आने वाला समय ही बताएगा कि भविष्य में इस परंपरा का क्या स्वरूप होगा।

निष्कर्ष

मसान की होली एक विवादास्पद आयोजन है। धर्मगुरुओं का कहना है कि यह शास्त्रों और परंपराओं के खिलाफ है, जबकि आयोजकों का कहना है कि यह एक प्राचीन परंपरा है। यह देखना होगा कि इस विवाद का क्या परिणाम होता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
“Crew” Soars High: Advance Bookings Take Off! Huma Qureshi Slams Deepika Padukone’s Trolling: “Ridiculous!” Captain Marvel’s MCU return: 10 upcoming projects   The Secret Killer Lurking in Your Blood Papaya to the Rescue! 7 Surprising Benefits You Never Knew About One Gravy, 50 Dishes! Unlock Culinary Magic Deepika Padukone is looking gorgeous in black Rajput incarnation of Macron! Which will change history in Jaipur! Ayushmann’s Big News! The Republic Day Parade Just Got More Exciting! Alia Bhatt showed her royal look