2003 में लुआंडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बोइंग 727 विमान की चोरी एविएशन इतिहास में एक अविश्वसनीय घटना है। यह चोरी आज भी एक रहस्य बनी हुई है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है।
यह घटना 25 मई 2003 की रात को हुई थी। दो लोगों, बेन सी पैडिला और जॉन एम मुतांतु ने हवाई अड्डे पर खड़े बोइंग 727 विमान को चुरा लिया और उड़ान भर गए। पैडिला एक अमेरिकी पायलट और फ्लाइट इंजीनियर था, जबकि मुतांतु कॉन्गो रिपब्लिक से हायर किया गया एक मेकेनिक था।
यह विमान चोरी एविएशन इतिहास में कई कारणों से अनोखी है। सबसे पहले, यह एक बड़े वाणिज्यिक विमान की चोरी थी, जो एक हवाई अड्डे से उड़ाया गया था। दूसरा, चोरों के पास विमान उड़ाने का कोई लाइसेंस नहीं था। तीसरा, विमान गायब हो गया और आज तक उसका कोई पता नहीं चला है।
चोरी की योजना:
बेन सी पैडिला और जॉन एम मुतांतु ने इस चोरी की योजना कई हफ्तों तक बनाई थी। उन्होंने हवाई अड्डे के कर्मचारियों को रिश्वत दी और सुरक्षा व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाया।
चोरी की रात:
25 मई की रात को, पैडिला और मुतांतु हवाई अड्डे पर घुस गए और बोइंग 727 विमान में चढ़ गए। उन्होंने विमान को स्टार्ट किया और बिना किसी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) मंजूरी के उड़ान भर गए।
विमान का गायब होना:
विमान कुछ देर तक रडार पर दिखाई दिया, लेकिन उसके बाद अटलांटिक महासागर के ऊपर गायब हो गया। विमान में 53,000 लीटर ईंधन था, जो 2400 किलोमीटर की उड़ान के लिए पर्याप्त था।
जांच:
इस चोरी की जांच कई देशों की खुफिया एजेंसियों ने की थी, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। विमान और चोरों का कोई पता नहीं चला।
यह चोरी आज भी एक रहस्य बनी हुई है। यह एविएशन इतिहास की सबसे अविश्वसनीय घटनाओं में से एक है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है।
चोरी की जटिलताएं:
इस चोरी को कई चीजें अनोखा बनाती हैं। सबसे पहला पहलू है एक विशाल वाणिज्यिक विमान की चोरी, वो भी हवाई अड्डे से सीधे उड़ाकर। दूसरी बात, चोरों के पास विमान उड़ाने का कोई प्रमाणिक प्रशिक्षण या लाइसेंस नहीं था। तीसरा पहलू है विमान का रहस्यमय ढंग से गायब हो जाना, जिसका आज तक कोई पता नहीं चला है।
चौथी जटिलता ये है कि चोरी के पीछे का मकसद भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। आम तौर पर विमान चोरी के पीछे आर्थिक लाभ या फिर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का इरादा होता है। लेकिन इस मामले में, चोरों ने विमान को बेचा या किसी अन्य प्रकार से मुद्रीकृत करने का कोई प्रयास नहीं किया। 53,000 लीटर ईंधन से लैस विमान 2400 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता था, लेकिन यह भी पता नहीं चल पाया कि आखिर चोर इसे कहां ले गए।
जांच के रहस्य और अटकलें:
अंगोला की सरकार और अमेरिका सहित कई देशों की खुफिया एजेंसियों ने इस चोरी की गहन जांच की। जांचकर्ताओं ने कई थ्योरीज पर गौर किया, लेकिन कोई भी ठोस सबूत नहीं मिल सका। एक सिद्धांत के अनुसार, चोरों ने शायद दक्षिण अमेरिका में विमान को किसी आतंकी संगठन को बेचने की कोशिश की होगी। वहीं दूसरी थ्योरी बताती है कि विमान किसी दुर्घटना का शिकार हो गया होगा और अटलांटिक महासागर की गहराई में कहीं समा गया होगा।
कुछ लोगों का मानना है कि ये चोरी किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकती है, जिसमें हवाई अड्डे के अधिकारियों की मिलीभगत भी शामिल रही होगी। हालाँकि, इस दावे को सपोर्ट करने वाला कोई भी सबूत सामने नहीं आया है।
रहस्य कायम रहना:
लुआंडा से बोइंग 727 की चोरी को दो दशक से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन ये रहस्य आज भी कायम है। चोरों का क्या हुआ, विमान कहां गया, और चोरी के पीछे का असली मकसद क्या था – ये सभी सवाल आज भी अनुत्तरित हैं। ये घटना एविएशन इतिहास में एक काले धब्बे की तरह बनी हुई है, जो हमें सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमियों और अपराध की दुनिया की जटिलताओं के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है।