काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने ज्ञानवापी मामले में दायर की याचिका, व्यास जी के तहखाने की मरम्मत और नमाज पर प्रतिबंध की मांग
वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में अब काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास भी कूद पड़ा है। न्यास ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर कर व्यास जी के तहखाने की छत की मरम्मत की अनुमति मांगी है। न्यास का दावा है कि छत पर एक पत्थर की बीम में दरार पड़ गई है, जिसके कारण पुजारी और श्रद्धालुओं के साथ अनहोनी की आशंका है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि फरवरी माह से ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की संख्या अचानक बढ़ गई है, जिसके कारण व्यास जी के तहखाने की छत पर भार बढ़ गया है। न्यास ने नमाजियों को नियंत्रित करने और व्यास जी तहखाने में नमाज को रोकने की भी मांग की है।
हिंदू पक्ष की मांगें:
- व्यास जी तहखाने की छत की मरम्मत की अनुमति
- ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों को नियंत्रित करना
- व्यास जी तहखाने में नमाज पर प्रतिबंध
मुस्लिम पक्ष का रुख:
मुस्लिम पक्ष ने काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की याचिका का विरोध किया है। उनका कहना है कि नमाज ज्ञानवापी परिसर में पिछले कई दशकों से हो रही है और इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं है।
अदालत में सुनवाई:
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की याचिका पर जिला अदालत 19 मार्च को सुनवाई करेगी। यह देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।
इस मामले के कुछ महत्वपूर्ण पहलू:
- ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच विवादित परिसर
- हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी
- मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी से मौजूद है
- 2022 में, एक अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था
- सर्वेक्षण के दौरान, हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उन्हें मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिला है
- मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का खंडन किया है
यह मामला भारत में धार्मिक विवादों का एक ज्वलंत उदाहरण है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। यह देखना होगा कि अदालत इस मामले में कैसे फैसला सुनाती है और इसका देश के अन्य धार्मिक विवादों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इतिहास:
- ज्ञानवापी मस्जिद 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में बनाई गई थी।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, जिसे ज्ञानवापी मंदिर कहा जाता था।
- मुस्लिम पक्ष इस दावे का खंडन करता है और कहता है कि मस्जिद हमेशा से मौजूद रही है।
सर्वेक्षण:
- 2022 में, एक अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।
- सर्वेक्षण के दौरान, हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उन्हें मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिला है।
- मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि यह एक “फव्वारा” है।
अदालती कार्यवाही:
- ज्ञानवापी मामले में कई याचिकाएं और मुकदमे दायर किए गए हैं।
- मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है और अंतिम फैसला आना बाकी है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
- ज्ञानवापी विवाद ने देश में सामाजिक और राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है।
- हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस हो रही है।
- कुछ राजनीतिक दल भी इस विवाद का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
यह मामला भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अदालत का फैसला न केवल इस विवाद को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
- ज्ञानवापी मस्जिद ज्ञानवापी कुंड के पास स्थित है, जो हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है
- काशी विश्वनाथ मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है और इसे भगवान शिव को समर्पित है
- यह मामला भारत के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने को भी प्रभावित कर रहा है