मंगलवार देर रात मुंबई पुलिस की एसएस ब्रांच (सोशल सर्विस ब्रांच) ने एक हुक्का बार में छापेमारी कर स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी समेत 14 लोगों को हिरासत में लिया था। सभी आरोपियों पर कोटपा (सीओटीपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, पुलिस ने 41 A का नोटिस देकर फारूकी को जाने दिया है।
यह घटना फोर्ट इलाके में हुई। पुलिस को सूचना मिली थी कि एक हुक्का बार में अवैध रूप से हुक्का परोसा जा रहा है। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने छापेमारी कर 14 लोगों को हिरासत में लिया। इनमें मुनव्वर फारूकी भी शामिल थे। पुलिस ने सभी से पूछताछ की और उनके खिलाफ कोटपा के तहत मामला दर्ज किया।
पुलिस के मुताबिक, मुनव्वर फारूकी हुक्का बार में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने हुक्का नहीं पी था। पुलिस ने उन्हें 41 A का नोटिस देकर जाने दिया है। 41 A का नोटिस अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस द्वारा दिया जाता है। इस नोटिस के तहत व्यक्ति को पुलिस के सामने पेश होना होता है।
मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कई लोगों ने फारूकी के समर्थन में ट्वीट किए, जबकि कुछ लोगों ने उनकी आलोचना भी की।
फारूकी पहले भी विवादों में रह चुके हैं। पिछले साल उन्हें इंदौर में एक शो के दौरान हिंदू देवी-देवताओं के बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
यह घटना एक बार फिर से हुक्का बार और स्टैंडअप कॉमेडियन को लेकर बहस छेड़ सकती है। हुक्का बार को लेकर कई राज्यों में पाबंदी है। वहीं, स्टैंडअप कॉमेडियन को लेकर भी कई बार विवाद उठ चुके हैं।
मुनव्वर फारूकी की हिरासत की खबर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। उनका तर्क है कि फारूकी पर सिर्फ मौजूद होने का आरोप है, हुक्का पीने का नहीं। उनका कहना है कि ये घटना फारूकी को निशाना बनाने की एक और कोशिश है। फारूकी अक्सर अपने व्यंग्यात्मक हास्य के लिए जाने जाते हैं, जो कई बार विवाद खड़ा कर देता है। पिछले साल भी उन्हें इसी तरह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी कॉमेडी को कलात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में देखा जाना चाहिए और उन्हें उनके विचारों के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
वहीं, फारूकी के आलोचकों का कहना है कि सार्वजनिक स्थान पर हुक्का बार का होना ही कानून का उल्लंघन है। उनका तर्क है कि चाहे फारूकी ने खुद हुक्का पीया हो या ना हो, उनकी मौजूदगी इस अवैध गतिविधि को समर्थन देने जैसा है। वे ये भी कहते हैं कि फारूकी को अपनी लोकप्रियता का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में कानून का पालन करना चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने की जरूरत को रेखांकित किया है। कॉमेडियनों को अपनी कलात्मक स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते समय सामाजिक संवेदनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। वहीं, अधिकारियों को भी किसी व्यक्ति की लोकप्रियता या विचारधारा को ध्यान में रखे बिना कानून का समान रूप से पालन कराना चाहिए।